पिता चलाते हैं टैक्सी, बेटी ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिंरगा

पिता चलाते हैं टैक्सी, बेटी ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिंरगा






क्लाइंबिंग बियोंड द समिट( Climbing Beyond the Summit CBTS) द्वारा आयोजित अभियान में शीतल ने एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है. शीतल (Sheetal) ने रूस-जार्जिया बॉर्डर पर मौजूद माउंट एल्ब्रुस (mount elbrus) चोटी पर तिरंगा लहराने में सफलता पाई है. शीतल इससे पहले एवरेस्ट, कंचनजंगा और अन्नपूर्णा जैसी दुर्गम चोटियों पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं. शीतल ने बताया कि फ्लाइट रद्द होने के कारण उनका अभियान 3 दिन की देरी से शुरू हुआ. 13 सितंबर को मास्को पहुंचकर उनकी टीम ने 36 सौ मीटर की ऊंचाई पर अपना बैस कैंप बनाया. फिर अगले दिन 14 अगस्त की रात को समिट के लिए निकल पड़े.

 पिता चलाते हैं टैक्सी, बेटी ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिंरगा 
यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिंरगा के साथ शीतल.


उत्तराखंड की बेटी शीतल  ने यूरोप में देश का नाम रौशन किया है. 15 अगस्त के दिन शीतल ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की है.
पिथौरागढ़. क्लाइंबिंग बियोंड द समिट द्वारा आयोजित अभियान में शीतल ने एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है. शीतल ने रूस-जार्जिया बॉर्डर पर मौजूद माउंट एल्ब्रुसचोटी पर तिरंगा लहराने में सफलता पाई है. शीतल इससे पहले एवरेस्ट, कंचनजंगा और अन्नपूर्णा जैसी दुर्गम चोटियों पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं. शीतल ने बताया कि फ्लाइट रद्द होने के कारण उनका अभियान 3 दिन की देरी से शुरू हुआ. 13 सितंबर को मास्को पहुंचकर उनकी टीम ने 36 सौ मीटर की ऊंचाई पर अपना बैस कैंप बनाया. फिर अगले दिन 14 अगस्त की रात को समिट के लिए निकल पड़े.शीतल ने बताया कि आखिरकार 15 अगस्त की दोपहर में उन्हें एल्ब्रुस चोटी पर तिंरगा फहराने में सफलता मिली. एल्ब्रुस चोटी 5 हजार 6 सौ 42 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है. 48 घंटे के भीतर बेस कैंप से समिट करना काफी मुश्किल होता है. अभी तक बहुत कम पर्वतारोही इतने कम समय में एल्ब्रुस चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंचे हैं. कड़ी मेहनत से शीतल ने हासिल की सफलता एल्ब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है, जो कॉकस पर्वत श्रृखंला में मौजूद है. इसके दो शिखर हैं. कॉकस पर्वत श्रृखंला का पश्चिमी शिखर 5 हजार 6 सौ 42 मीटर ऊंचा है, जबकि पूर्वी शिखर 5 हजार 6 सौ 21 मीटर की ऊंचाई पर है. सीबीटीएस के संस्थापक सदस्य योगेश गर्बयाल ने बताया कि शीतल गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. शीतल के पिता पिथौरागढ़ टैक्सी चलाते हैं, लेकिन कड़ी मेहनत से उसने ये मुकाम हासिल . तरूण और तपन नाम के जुड़वा भाई बीते साल सीबीटीएस से जुड़े थे. एल्ब्रुस चोटी पर तिंरगा फहराने वाले तरूण और तपन पहले जुड़वा भारतीय भाई हैं. तरूण और तपन ने पिथौरागढ़ की दारमा घाटी में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया है. इन दोनों जुड़वा भाईयों की टारगेट एवरेस्ट में एक साथ तिरंगा फहराना है. एल्ब्रुस पर तिरंगा फहराने वाली 4 भारतीय सदस्यों की टीम में लद्दाख के जिगमित थरचिन भी थे. सीबीटीएस का 4 सदस्यीय दल 11 अगस्त को दिल्ली से यूरोप के लिए रवाना हुआ था


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amit