सोशल मीडिया पर काबुल के एयरपोर्ट पर भागते लोगों का हुजूम, गोलियों की आवाज़ें और विमान पर चढ़ने कोशिश करते लोगों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो अपने आप में ये बताने के लिए काफ़ी है कि वहाँ वाकई में हालात क्या हैं अफ़ग़ानिस्तान में अब महिलाओं और बच्चों का क्या होगा? देश की ताज़ा स्थिति का इन लोगों की ज़िंदगी पर होने वाले असर को लेकर भी चिंता जताई जा रही है.
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली और अफ़ग़ानिस्तान में चुनाव आयोग की पूर्व सदस्य ज़ारमीना काकर ने बीबीसी को बताया, ''इन दिनों मुझसे कोई पूछता है कि मैं कैसी हूँ? इस सवाल पर मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं और मैं कहती हूँ ठीक हूँ. लेकिन असल में हम ठीक नहीं हैं. हम ऐसे दुखी पंछियों की तरह हो गए हैं, जिनकी आँखों के सामने धुंध छाई हुई है और हमारे घरौंदों को उजाड़ दिया गया है. हम कुछ नहीं कर सकते, केवल देख सकते हैं और चीख सकते हैं.''