डिप्रेशन के लक्षण :
मन बहुत उदास रहने लगता है अगर अच्छा कुछ हो भी रहा हो तब भी मन खुश नहीं रहता और हमेशा ही उदासी 24 घंटे सातों दिन बनी रहती है नॉर्मल उदासी और डिप्रेशन की उदासी में फर्क है कि नॉर्मल उदासी में अच्छा होने पर ठीक हो जाती है पर डिप्रेशन की उदासी चाहे कुछ भी हो जाए पर यह नहीं जाएगी
इंटरेस्ट खत्म हो जाना किसी भी चीज में मन नहीं लगता चाहे पढ़ाई हो नौकरी हो रिश्ते हो
ग्लानि महसूस होती है हर छोटी चीज में व्यक्ति अपने आप को कसूरवार समझता है
शारीरिक कमजोरी सुस्ती रहती है थकान रहती है ऊर्जा का स्तर गिर जाता है
कंसंट्रेशन खत्म हो जाना दिमाग फोकस नहीं कर पाएगा
भूख में बदलाव आमतौर पर भूख में कमी आती है पर कुछ Cases में भूख बढ़ती है और वजन भी बढ़ जाता है
नींद में समस्या नींद आनी देर से शुरू हो जाती है पर डिप्रेशन में नॉर्मल ही सुबह-सुबह नींद खुल जाती है
अपने आप को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आना :व्यक्ति अपने आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है
यदि आपको यदि आपको पांच लक्षण 2 हफ्ते से ज्यादा चल रहे हैं तब डिप्रेशन हो सकता है इसमें जरूरी नहीं कि कुछ बुरा होने के बाद ही लक्षण आते हैं सब कुछ अच्छा चलने के बाद भी डिप्रेशनआ सकते हैं
इसके दो Cause होते हैं
बायोलॉजिकल CAUSE: दिमाग के अंदर चेंज हो रहे केमिकल लाइक डोपामाइन इसकी कमी से भी डिप्रेशन होता है
साइक्लोजिकल CAUSE : नेगेटिव थॉट के कारण डिप्रेशन होने लगता है कुछ भी काम करने पर नेगेटिव thoughts आएगा यदि कोई बच्चा क्लास में पढ़ रहा है उसे कुछ समझ नहीं आया मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा मेरी जीवन में अंधकार आ गया है इसी प्रकार के लक्षणों के कारण डिप्रेशन होता है डिप्रेशन से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने नेगेटिव थॉट्स को पॉजिटिव में बदलें इसके लिए आपको कुछ पॉइंट्स करने होंगे
चेंज युवर बॉडी लैंग्वेज: अपने कंधों को देखें क्या यह झुके हुए हैं इनको सीधा रखें आपकी गलत बॉडी लैंग्वेज आपके कॉन्फिडेंस को कम करती है कॉन्फिडेंस डाउन होगा तो नेगेटिव थॉट्स आएंगे
अपने माइंड को रीस्टार्ट करें: मन में कहें कि चलो अब मैं दोबारा से शुरू करता हूं अब मेरा माइंड में कुछ नहीं है जब भी आपको लगे कि कोई नेगेटिव बात है तो अपने दिमाग से बोल कर कहो कि मैं तुम्हारी यह बात नहीं मानता और इस बात को बार-बार रिपीट करो नेगेटिव थॉट्स तब आता है जब कोई काम हमारे हिसाब से नहीं होता है
नेगेटिव लोग हर चीज को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं जो कुछ भी हो उनके हिसाब से हो और यदि उनको हिसाब से नहीं होता तो यह गुस्सा हो जाते हैं यदि 2 लोग रिलेशनशिप में है और एक व्यक्ति दूसरे को काम करने के लिए मना करता है और दूसरा वह काम करता है तो पहला बहुत गुस्सा हो जाता है किसी ने एक बिजनेस किया और वह नहीं चला तो कभी नेगेटिव thoughts वाले लोग बिजनेस नहीं करेगा और दूसरे को भी मना करेगा नेगेटिव लोगों में सेल्फ डाउट बहुत ज्यादा होते हैं क्या मैं यह कर पाऊंगा अब उनका ऐसा सोचना बाकी लोगों को भी उनसे दूर कर देता है
सोचने के तरीकों को बदलना होगा: कई बार नेगेटिव थॉट्स हमारे सोचने के नजरिए से भी आते हैं तो नेगेटिव थॉट फीलिंग करने की बजाय आप उसको पॉजिटिव थॉट्स में बदल दें इसमें आप अपने से कहें कि मेरा समय बदलने वाला है और लाइफ में मुश्किलें मेरी परीक्षा ले रही है क्या मैं एक अच्छे समय को संभाल पाऊंगा ऐसा करने से आप पॉजिटिव हो जाएंगे
Be Creative:उस काम को करो जिसमें आपको सबसे ज्यादा मन लगता है अपनी सारी अच्छी चीजों को याद करें जो आपके जीवन में हुई हैं उन चीजों को सोचे जो आप चाहते हैं अपनी उन सारी चीजों को याद करो जो आपके जीवन में अच्छी हुई है
यदि आप इन सुब बातो का ध्यान रखते हुए अपने थॉट्स को पॉजिटिव बनाएंगे और नेगेटिव थॉट्स को नहीं आने देंगे तो धीरे धीरे डिप्रेशन से मुकत हो जायंगे
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