चक्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए इसे जीवन का पहिया कहा जाता है। चक्रों के बिना मानव जीवन नहीं चल सकता जब चक्र बंद हो जाते हैं उस अवस्था में रोगो का जन्म होता है |यह हमारी ड्राइविंग फोर्स की तरह काम करता है यदि हम अपने चक्रों को सही रखेंगे तो हमारी लाइफ भी सही चलती रहेगी |
इसमें तीन महत्वपूर्ण चीजें हैं |
1.ओरा: यह हमारे शरीर के बाहर बहने वाली एनर्जी हैं मुख्यतः यह ढाई इंच से शुरू होती है यह ओरा व्यक्ति के मेडिटेशन स्किल पर निर्भर करती है |
2.चक्र: हमारे शरीर में बहुत चक्र होते है परन्तु मुख्यत 7 चक्र हैं चक्र हमारे एनर्जी के चैनल हैं|
3.नाड़ी: हमारे शरीर में 72000 नाड़ी होती हैं खून की नाड़ी खून ले जाती है और एनर्जी की नाडी एनर्जी लेकर जाती है नाड़ी का अर्थ है बहना जैसे नदी में पानी बहता है हमारे शरीर में 10 मुख्य नाड़ी हैं जिसमें से तीन मुख्य हैं |
1.सुषुम्ना
2.एडा
3.पिंगला
जब नाड़ी आपस में मिलती हैं और मिलने के बाद जो पॉइंट्स बनते हैं उन्हें हम चक्र कहते हैं जब भी नाडी एक दूसरे को क्रॉस करती हैं वह स्थान चक्र कहलाता है सुषुम्ना नाड़ी एडा और पिंगला के बीच में स्थित होती है जहां भी यह दो नाडिया मिलती हैं यह एक चक्कर बनाती हैं जो कि हमारी एनर्जी का सेंटर होता है हमारे शरीर में एनर्जी इन्हीं चक्रों के माध्यम से आती है |
यह सभी चक्र हमारी एंडोक्राइन ग्लैंड से कनेक्ट होते हैं और यह ग्लैंड हारमोंस रिलीज करती है जो हमारे शरीर को हेल्दी रखते हैं यदि एंडोक्राइन ग्लैंड का बैलेंस खराब हो जाता है तो हमारी बॉडी का भी बैलेंस खराब हो जाता है जब भी हम अपने चक्र को energies करते हैं तो हमारी ग्लैंड भी energies हो जाती है और हमारी बॉडी भी डेफिशियेंसी से एफिशिएंसी की ओर मूव करती है|
क्रॉउन चक्र बहुत महत्वपूर्ण है यह एनर्जी प्राण को ट्रांसफर करता है और हमारे शरीर में और पूरी बॉडी को पावर सप्लाई देता है क्रॉउन चक्र से एनर्जी आती है और यह एक ट्रांसमीटर की तरह काम करता है यह एनर्जी को प्राण (consciousness) में कन्वर्ट करता है और दोबारा से हम अपने प्राण को एनर्जी के रूप में कन्वर्ट करते हैं |
यह निराकार है इसमें गुण और दोष है|
1. ऊर्जा के धीरे-धीरे प्रवाह को रोग कहते हैं
2.बीमारी और कुछ नहीं बल्कि संस्कारों की अभिव्यक्ति है जो दुख की ओर ले जाती है।
3.संस्कार चक्रों में बस जाते हैं जिससे उनकी गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप चक्रों के इनपुट और आउटपुट के अनुपात में असंतुलन हो जाता है।
4. तनाव हमारे चक्र से गुजरने वाली ऊर्जा के प्रवाह की मात्रा को कम करता है जिसका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों के लिए करते हैं।
6. जब हमारी क्रिया पूर्ण नहीं होती है, तो वह अपने पीछे शेष कर्म छोड़ जाती है जिसे हम संस्कार कहते हैं।
5. संस्कार हमारे पिछले कर्मों का फल या परिणाम हैं, हमने जो भी कर्म किए हैं और जो अधूरे हैं।
7. संस्कार हमारे चक्रों को व्यवस्थित करते हैं |
8. विचार करें कि उपलब्ध ब्रह्मांड ऊर्जा स्थिर है,F=(M*A) जब चक्रों के बंद होने के कारण द्रव्यमान बढ़ता है, गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है।
8. ऊपर से ऊर्जा का प्रवाह दूषित चक्रों से पूरी तरह से नहीं होता है और इसके परिणामस्वरूप हमारी अंतःस्रावी ग्रंथियों को पूरी ऊर्जा नहीं मिलती है और हमारे शरीर में ब्लॉक बन जाते हैं।
9. यहां तक कि सभी चक्रों से जुड़े भौतिक अंग और सूक्ष्म घटक भी ऊर्जा प्रवाह नहीं करते और इसके परिणामस्वरूप शारीरिक स्तर पर बीमारियां होती हैं।
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