Healing & Cleansing of Chakras| 7 चक्र क्या हैं ?

Healing & Cleansing of Chakras| 7 चक्र क्या हैं ?

 


चक्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए इसे जीवन का पहिया कहा जाता है। चक्रों के बिना मानव जीवन नहीं चल सकता जब चक्र बंद हो जाते हैं उस अवस्था में रोगो का जन्म होता है |
यह हमारी ड्राइविंग फोर्स की तरह काम करता है यदि हम अपने चक्रों को सही रखेंगे तो हमारी लाइफ भी सही चलती रहेगी |

इसमें तीन महत्वपूर्ण चीजें हैं |

1.ओरा: यह हमारे शरीर के बाहर बहने वाली एनर्जी  हैं मुख्यतः यह ढाई इंच से शुरू होती है यह ओरा व्यक्ति के मेडिटेशन स्किल पर निर्भर करती है |

2.चक्र: हमारे शरीर में बहुत चक्र  होते है परन्तु मुख्यत 7 चक्र हैं चक्र हमारे एनर्जी के चैनल हैं| 

 3.नाड़ी: हमारे शरीर में 72000 नाड़ी होती हैं खून की नाड़ी खून ले जाती है और एनर्जी की नाडी एनर्जी लेकर जाती है नाड़ी का अर्थ है बहना जैसे नदी में पानी बहता है हमारे शरीर में 10 मुख्य नाड़ी हैं जिसमें से तीन मुख्य हैं |

 1.सुषुम्ना

 2.एडा 

 3.पिंगला

जब नाड़ी आपस में मिलती हैं और मिलने के बाद जो पॉइंट्स बनते हैं उन्हें हम चक्र कहते हैं  जब भी नाडी एक दूसरे को क्रॉस करती हैं वह स्थान चक्र कहलाता है  सुषुम्ना नाड़ी एडा और पिंगला के बीच में स्थित होती है जहां भी यह दो नाडिया मिलती हैं यह एक चक्कर बनाती हैं जो कि हमारी एनर्जी का सेंटर होता है हमारे शरीर में एनर्जी इन्हीं चक्रों के माध्यम से आती है |

यह सभी चक्र हमारी एंडोक्राइन ग्लैंड से कनेक्ट होते हैं और यह ग्लैंड हारमोंस रिलीज करती है जो हमारे शरीर को हेल्दी रखते हैं यदि एंडोक्राइन ग्लैंड का बैलेंस खराब हो जाता है तो हमारी बॉडी का भी बैलेंस खराब हो जाता है जब भी हम अपने चक्र को energies  करते हैं तो हमारी ग्लैंड भी energies हो जाती है और हमारी बॉडी भी डेफिशियेंसी से एफिशिएंसी की ओर मूव करती है|

 क्रॉउन चक्र  बहुत महत्वपूर्ण है यह एनर्जी प्राण को ट्रांसफर करता है और हमारे शरीर में और पूरी बॉडी को पावर सप्लाई देता है क्रॉउन चक्र से एनर्जी आती है और यह एक ट्रांसमीटर की तरह काम करता है यह एनर्जी को प्राण (consciousness) में कन्वर्ट करता है और दोबारा से हम अपने प्राण को एनर्जी के रूप में कन्वर्ट करते हैं |

यह निराकार है इसमें गुण और दोष है|

1. क्रॉउन चक्र(crown chakra): इसका रंग गहरा बैंगनी कलर होता है इसकी फ्रीक्वेंसी सबसे ज्यादा होती है इसमें एलिमेंट आकाश है और सब एलिमेंट कॉन्शसनेस यानी प्राण हैं कई बार हमारी एनर्जी औरा को तोड़कर निकल जाती है क्योंकि हम एनर्जी को purest form में except  नहीं कर पाते पैरालिसिस की मुख्य वजह यही है क्योंकि हम एनर्जी को diluted form  में ही except कर सकते हैं|

 2.थर्ड आई चक्र(Third Eye Chakra):  यह हमारी eyes के बिल्कुल बीच में होता है इसको हम पिट्यूटरी ग्लैंड भी कहते हैं इसका एलिमेंट आकाश और सब एलिमेंट प्रकाश है यह हमारे ब्रेन के ऊपरी भाग से जुड़ा होता है जहां हमारी मेमोरी होती है इसका रंग गहरा बैंगनी होता है इसकी सहायता से हमें नॉलेज और विजडम प्राप्त होती है यह चक्र में विजडम की ओर लेकर जाता है तथा बताता है कि आपका जन्म क्यों हुआ है और आपकी लाइफ का परपज क्या है यह चक्र भी बहुत हाई फ्रिकवेंसी का होता है इसीलिए लेडीज बिंदि या कुमकुम लगाती हैं क्योंकि कुमकुम एनर्जी  स्टोर करता है |
3. विशुद्धि चक्र या Throat Chakra: यह हमारे गले में होता है इसका एलिमेंट आकाश है और सब एलिमेंट साउंड है यह हमारी थाइरोइड ग्लैंड से जुड़ा होता है यह हमारी eustachian tube को कंट्रोल करता है इसका रंग गहरा नीला होता है इसकी फ्रीक्वेंसी कम होती है किसी से बात करना या पढ़ना इस चक्र में आता है यह आइडिया को थॉट्स में कन्वर्ट करता है 
थर्ड आई चक्र बुद्धा है और विशुद्धि चक्र कृष्णा चक्र  है 

4.हार्ट चक्र Heart Chakra:यह हमारे शरीर के बिल्कुल मध्य में होता है इसका मुख्य एलिमेंट वायु है यह दिल एवं फेफड़ों से जुड़ा होता है इसका मुख्य कार्य सांस लेना एवं खून को पूरे शरीर में पहुंचाना होता है इस चक्र का रंग हरा होता है मुक्ति के लिए यह चक्र अपना एक महत्व रखता है हार्ट चक्र आपके हाथों से जुड़े होते हैं एवं हाथों से ही हीलिंग करते हैं|

5.मणिपुर चक्र Solar Plexus Chakra:यह हमारी बॉडी में पेट के ऊपर स्थित होता है इसका एलिमेंट अग्नि है तथा यह हमारे पेट गाल ब्लैडर, पेनक्रियाज एवं लीवर से जुड़ा होता है इसका रंग पीला होता है यह चक्र हमारे अनडिजायरेबल इमोशंस जैसे गुस्सा, जलन, भूख, काम पैदा करता है यह चक्र एक्टिविटी ओरिएंटेड होता है|

यह चक्र  एक्टिविटी का peak होता है जब बच्चा होता है तो उसकी एनर्जी मूलाधार में होती है जैसे जैसे बड़ा होता है एनर्जी ट्रांसफार्म होने लगती है आयुर्वेद में इस चक्र का बहुत महत्व होता है यह चक्र हमारी एनर्जी को पंप करने का भी काम करता है|

5. स्वाधिष्ठान चक्र Sacral Chakra: यह हमारे पेट के निचले हिस्से में स्थित होता है एवं इसका  एलिमेंट जल है यह हमारे टेस्टिस, ओवरीज एवं रीप्रोडक्टिव सिस्टम के साथ जुड़ा होता है यह संतरी रंग का होता है तथा हमारे शरीर में फ्लूड सिस्टम यूरिन और पसीने को कंट्रोल करता है यह सुख और शांति का चक्कर है

 हमारी सभी मेमोरी पानी के रूप में शरीर में स्टोर होती हैं तथा बुढ़ापे में हमारी ब्रेन का वाटर लेवल कम होने लगता है जिससे हमारी मेमोरी भी कमजोर होने लगती है |

7. मूलाधार चक्र Root Chakra: यह हमारी एनसटेल बोन पर होता है इसका  एलिमेंट अर्थ है यह लाल रंग का होता है यह हमारे मसल्स ज्वाइंट और स्पाइन से जुड़ा होता है यह हमें स्टेबिलिटी और सिक्योरिटी प्रदान करता है लाल रंग खतरे का प्रतीक  होता है जिस व्यक्ति की energy यहां स्थित होती है इसका अर्थ है कि वह तामसिक प्रवृत्ति का होगा |

हम दिन में अलग-अलग समय पर परिवर्तित होते रहते हैं आइए देखते हैं
 1.सुबह 4:00  से 10:00 बजे -  सात्विक समय
 2.सुबह10:00से  4:00 बजे-  राजसिक समय (यह बहुत प्रोडक्टिव टाइम होता है) 
 3.शाम 4:00 से 10:00 बजे- तामसिक समय 
 4.रात 10:00 से 12:00 बजे-सात्विक समय 
 5. रात12:00 से 2:00 बजे-राजसिक समय 
 6.रात्रि2:00 से  4:00 बजे-तामसिक समय (इस समय हम गहरी निंद्रा में होते हैं)

 सभी चक्र डिमांड सप्लाई की तरह है लाइफ एक इमोशन की तरह है तथा इमोशन एक एक्सपीरियंस की तरह होता है  इमोशन नॉर्मल एक एनर्जी है जो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर ऑपरेट होता है उसके बाद इमोशन ही रिएक्शन क्रिएट करता है हमारे  जीवन में 5% इवेंट होते है और उन्ही 5 % इवेंट से हमारा जीवन 95% रिएक्शन से भरा होता है और यह सभी रिएक्शन हमारे चक्रों से आते हैं यदि हम चक्रों को मैनेज करते हैं तो हम अपने इमोशंस को भी मैनेज कर सकते हैं

1. ऊर्जा के धीरे-धीरे प्रवाह को रोग कहते हैं

2.बीमारी और कुछ नहीं बल्कि संस्कारों की अभिव्यक्ति है जो दुख की ओर ले जाती है।

3.संस्कार चक्रों में बस जाते हैं जिससे उनकी गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप चक्रों के इनपुट और आउटपुट  के अनुपात में असंतुलन हो जाता है।

4. तनाव हमारे चक्र से गुजरने वाली ऊर्जा के प्रवाह की मात्रा को कम करता है जिसका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों के लिए करते हैं।

6. जब हमारी क्रिया पूर्ण नहीं होती है, तो वह अपने पीछे शेष कर्म छोड़ जाती है जिसे हम संस्कार कहते हैं।

5. संस्कार हमारे पिछले कर्मों का फल या परिणाम हैं, हमने जो भी कर्म किए हैं और जो अधूरे हैं।

7.  संस्कार हमारे चक्रों को व्यवस्थित करते हैं |

8. विचार करें कि उपलब्ध ब्रह्मांड ऊर्जा स्थिर है,F=(M*A) जब चक्रों के बंद होने के कारण द्रव्यमान बढ़ता है, गति कम हो जाती  है जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है।

8. ऊपर से ऊर्जा का प्रवाह दूषित चक्रों से पूरी तरह से नहीं होता है और इसके परिणामस्वरूप हमारी अंतःस्रावी ग्रंथियों को पूरी ऊर्जा नहीं मिलती है और हमारे शरीर में ब्लॉक बन जाते हैं।

9. यहां तक ​​कि सभी चक्रों से जुड़े भौतिक अंग और  सूक्ष्म घटक भी ऊर्जा प्रवाह नहीं करते  और इसके परिणामस्वरूप  शारीरिक स्तर पर बीमारियां होती हैं।

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