एक बार की बात है एक छोटे से गांव में एक आदमी रहता था उसके घर के पास में एक पहाड़ था जहां पर वह रोज सुबह जाता था उस पहाड़ पर वह रोज थोड़ी देर के लिए बैठता फिर वापस आ जाता तो रोज की तरह वह सुबह सुबह जा रहा था पीछे से उसके छोटा सा बेटा आया उसने आ करके उसका हाथ पकड़ लिया और कहा कि मैं भी आज साथ चलूंगा |
उसने पहले तो उसको थोड़ा समझाया मना किया कहा कि रास्ता बहुत छोटा है और चढ़ाई बहुत ज्यादा है तो तुम मेरे साथ नहीं चल पाओगे लेकिन फिर जब उस बेटे ने जिद्द की तो पिता मान गया दोनों पहाड़ पर चढ़ने लगे पिता ने बेटे का हाथ कसके पकड़ा हुआ था |
एक साइड में पहाड़ थे एक साइड में खाई थी और रास्ता बहुत छोटा था और पहाड़ की चोटी पर पहुंचने ही वाले थे तभी रास्ते में बहुत बड़ा सा पत्थर आया क्योंकि पिता उस रास्ते पर रोज आता था तो उसको पता था कि उस रास्ते पर वह पत्थर है तो वह साइड से निकल गया |
लेकिन बेटे का ध्यान कहीं और था उसका घुटना जाकर के पत्थर पर टकरा गया तो फिर उस बच्चे के मुंह से एक चीख निकली और जैसे ही वह सीखा उसकी आवाज पहाड़ों में गूंजने लगी इससे पहले कभी भी बच्चे ने अपनी आवाज की गूंज नहीं सुनी थी तो उसे समझ नहीं आया कि यह क्या हो गया
वह थोड़ा घबरा गया उसे लगा कि शायद कहीं कोई है जो चुप करके उसको देख रहा है और उसका मजाक उड़ा रहा है फिर उस बच्चे ने बोला कौन हो तुम? जब उस बच्चे ने सुना तो बच्चे को गुस्सा आ गया उसने देखा कि कौन है जो मेरा मजाक उड़ा जा रहा फिर उसने गुस्से से कहा मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं
जैसे ही उसने उनको सुना तो घबरा गया उसके पिता समझ गए कि क्या हो रहा है उसने अपने पिता का हाथ कसके पकड़ा और उनसे पूछा कौन है जो मुझे इतना तंग कर रहा है कौन है जो यह मुझे डरा रहा है उसके पिता थोड़ा सा मुस्कुराए और खाई की तरफ देखा और बोला मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं अब उनको उलटी गूंज सुनाई दी कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं |
यह सुनकर बच्चा हैरान हो गया वही इंसान जो उसका मजाक उड़ा रहा है और तंग कर रहा है वह उसके पिता को बोल रहा है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं उसके पिता ने अपने बेटे को देखा और समझ गए कि उसके मन में क्या चल रहा है फिर दोबारा उसने बोला तुम बहुत अच्छे हो और यह सुनकर उसका बेटा भी थोड़ा सा मुस्कुराया और बोला कि यह क्या हो रहा है और फिर उसके पिता ने अपने बेटे को समझाया यह जो आवाज तुम सुन रहे हो ना यह किसी और की नहीं यह तुम्हारी ही आवाज है जो पहाड़ों में गूंज रही है |
तुम्हें अपनी ही आवाज सुनाई दे रही है जैसा तुम बोलते हो ठीक वैसा ही तुम्हें सुनाई देता है अगर तुम गुस्से से कुछ कहोगे तो पलट के जो आवाज आएगी उसमें भी गुस्सा ही होगा लेकिन अगर जो तुम कुछ अच्छा कहोगे तो वह आवाज भी अच्छी होगी|
बिल्कुल इसी तरह से हमारी जिंदगी में भी होता है जैसे तुम अपने मन में इस जिंदगी के बारे में सोचते हो यह जिंदगी तुम्हारे लिए बिल्कुल वैसी ही हो जाती है अगर मन ही मन में अपने आप को यह बोलते रहो कि मेरी जिंदगी तो बहुत ही बुरी है तो तुम्हारी जिंदगी सच में बुरी हो जाएगी |
और यदि तुम अपनी जिंदगी से प्यार करते हो तो तुम्हारी जिंदगी भी तुमसे प्यार करेगी यह बात उस बच्चे के दिमाग में घर कर गई और फिर दोनों उस उस पहाड़ की चोटी पर गए लेकिन बच्चे के दिमाग में यही बात घूम रही थी और बच्चा खिलखिला कर हँसा और उसने अपने दोनों हाथ खोले और अपनी पूरी ताकत से बोला मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं |
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